कुछ न होके भी सब बन बैठ।
सब बन के भी कुछ न हो बैठ।
मागे लक्झरी लाईफ विषयी एक छान पोस्ट आली.. वाचली आणि मनात विचार सुरु झाले… आपण भारतात रहाणारे मग या इंग्रजी शब्दानुसार मुळात आपल्या जीवनशैलीचे अर्थ का काढत बसतो?… प्रत्येक देशातील भाषेत तिथली संस्कृती, लोकजीवन,समाजमन विरघळलेले असते. भौतिक, शरीर, किंवा काही आवश्यक संकल्पना,विषय,आवश्यक गरजा यासाठी कदाचित शब्द लागू पडतील असे आपण समजू शकतो. प्रत्येक देशाचाही एक धर्म असतो. तो त्याचे तत्वज्ञान जपतो अश्या वेळी दोन भाषेतील सारख्या वाटणार्या शब्दांचा समानार्थी शब्दशोध अवघड असतो, त्याची जुळवाजुळव करावी लागते तो जश्यास तसा वापरता येत नाही….
LUXURY of life = समृद्धि,आनंद,विशालता से परिपूर्ण हो जाना।
शायद किसी चीज़,भाव, व्यक्ती,जरूरत,शरीर की भी आवश्यकता ही न रह जाने की स्थिति ही सच्ची समृद्धि होना है।
लंबे समय तक यही महेसुस करते रहना याने विशालता की भावना पैदा होना। इसके के लिए निर्माण हुवा हर भाव लक्झरी है। की गयी हर वो कोशीश लक्झरी है।
लेकिन वो सभी गुणों से भी परे है पर उसमें अनन्त सत्य अनंत चित् और अनन्त आनन्द मिलना है। शायद यह ध्यान हो सकता है या
इस गंतव्य तक जाने का मार्ग कबीर की फकिरीमेंही लगता है शायद…. माँ बाप का नाम भी लेकर नही आये तो वे संबंध, परिवार, रिश्तेदारी, प्रेम किस चिज में लक्झरी पाते? तो ये तो सही मायने में अर्थ नही हुवा। और जाते वक्त कुछ छोडकर भी नही गये( केवल भौतिक रूपसे)… फीर भी आनंद, समृद्धी, विशालतासे जीवन बिताके विलीन हो गये।
उनकी रचना सही अर्थ बतायेगी लक्झरी लाईफ तक जाने का।
हद हद जाये हर कोई
अन हद जाये न कोय
हद अन हद के बीच मे
रहा कबीरा सोय
मेरा मुझमे कुछ नही
जो कुछ है सो तेरा
may be
What is our favorite luxury! It depends on it….
may be
a pleasure out of the ordinary allowed to oneself…
may be…
the unusual intellectual or emotional pleasure or comfort derived from some specified things
may be….
a state of great comfort or elegance, especially when involving great expense…
for this type luxury we need obeviesly very expensives…
हमारी भारतीय जीवन मे इतनी मंहेंगी लक्झरी जिसके लिये इंग्रजी भाषा मे कोई सटिक बैठनेवाला समानार्थी शब्द ही नही…
वो सिर्फ अपनी भारतीय जीवनशैली मे ही जिया जा सकता है।
कुछ न होके भी सब बन बैठ।
सब बन के भी कुछ न हो बैठ।
भक्ती,जप,तप,साधना,योग,ध्यान जो अणू से ब्रम्हांड तक जीवन को समृध्द, विशाल और आनंदमय बनाता है। और इसपर सबका विश्वास है। यही भारतीय समृद्धी है।
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